Saturday, January 03, 2015



---बाबूजी----                                                  01-01-2015
विलख पड़ते हैं हम सब  
आपके तस्वीर को देखकर
रोने लगता है यशु और विभु
फफक फफक कर
वो पल याद करके जो
आपने दिये अपने बच्चों को
अपने आगोश में समेटकर
कुछ ही दिनों के लिए तो
जाना होता था बच्चों का
आपके प्यार के विशाल
वटवृक्ष के सानिध्य में 
उस लधु समय में ही
आपके दिये प्यार में जो
ताकत थी बाबूजी......
शायद वह ताकत  दुनिया के
किसी चीज में नहीं है
क्या दिया मैंने आपको
कुछ भी तो नहीं
सिवाय आपसे लेने के
अपने कठिनाइयों के दिनों में भी
मुस्कुराते हुये हमें सबकुछ दिया
कभी अहसास भी नहीं होने दिया
अपने परेशानियों को
फिक्र हमारी थी आपको और
बेफिक्र होकर चले गए
इस दुनिया से दूर बहुत दूर
ना जाने किस जहां में चुपचाप
बिना किसी के अवलंब हुये
अपने चिर परिचित अंदाज में ....
                   
               प्रकाश यादव “निर्भीक”
              बैंक ऑफ बड़ौदा, बड़ौदा,
             अंचल कार्यालय, बड़ौदा