Tuesday, August 28, 2018

-:पाने की तमन्ना में :-




जिंदगी की दौड़ में
भागता बेतहाशा
आगे की ओर
कुछ पाने की तमन्ना में
छूट जाता है पीछे
बहुत कुछ
जिसकी बदौलत
दौड़ना सीखता है कोई
लड़खड़ाते हुए
नन्हे कदमों से..

सुनहरे भविष्य की
अदद खोज में
चला जाता है कोई
दूर बहुत दूर
जहाँ से मुड़कर
आना फिर उस जगह
अब मुमकिन नहीं
जहाँ होकर बेफिक्र
व्यतीत हुआ था
खूबसूरत पल
जीवन के
बिना किसी मशक्कत के ...

वो मखमली यादें
अब भी जेहन में
कराती है बार बार
अहसास
जब भी पाता है
खुद को कोई
दुनिया की भीड़ में
नितांत अकेला और
नहीं दिखता है
शाम को
अपनत्व का प्यार
स्वार्थ की परिधि से
होकर होकर
जो छूट जाता है
बहुत पीछे  
कुछ पाने की तमन्ना में ...


प्रकाश यादव “निर्भीक”
पटना – २८-०८-२०१८