Tuesday, June 30, 2015

-: स्पर्श :-





स्पर्श तुम्हारे तन का हो
चाह नहीं मेरे मन को है
दैहिक प्यार क्षण भर का
आत्मिक चाह मन को है

मधुबन की सुगंध लेने को
संग रहना नहीं तन को है
रहकर दूर तुम अपनों से
स्पर्श सकुन जीवन को है

मीरा प्यार स्पर्श विहीन
अद्भुत ज्ञान दुनियाँ को है
कृष्ण कहाँ विमुख हुआ   
प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष को है

दिल का रिश्ता है गहरा
थाह नहीं है जीवन को है
एक गंध स्पर्श के खातिर
कस्तुरी फिरता वन को है 

बाबरी हुई लैला जो यहाँ
वजह मालूम जहां को है
स्पर्श फिदा मजनू भी नहीं
सारा पता प्रेम जहां को है

न मिलन धरा गगन का
संग व्याकुल चलने को है
चाहत अलौलिक प्यार की  
बिना स्पर्श “निर्भीक” को है  

            प्रकाश यादव “निर्भीक”
            बड़ौदा – 29-06-2015

-: तेरी महफिल में :-





तेरी महफिल में जाने की चाहत न थी
अंधेरी रात ने ही मुझे सामने ला दिया

भूल जाऊँ मैं कैसे तेरी वो बेवफाई को
मुझे जिंदा लाश बना सामने ला दिया

मोहब्बत तो किया था तेरी सीरत से
सूरत की सच्चाई को सामने ला दिया

खता मेरी थी जो वफा कर बैठा तुमसे
बेवफाई का आईना तू सामने ला दिया

खुद से प्यार करू या नफरत तुमसे
तुमने तो दोराहे के सामने ला दिया   

खुश रहो तुम सदा अपनी है चाहत पे
भुला कर सब खुद को सामने ला दिया

मत करना किसी को फिर कभी घायल
हकीकत तेरी तो सबके सामने ला दिया

“निर्भीक” को जीना है जी लेगा तन्हा
मुरझाया फूल खिलाकर सामने ला दिया   

                        प्रकाश यादव “निर्भीक”
                        बड़ौदा – 27-06-2015   

-:सौम्य सूरत :-



   
बैठी हो तू ऐसे सजधज कर
सरसों खेत में हो पीली पहर
मधुर ये मुस्कान होंठों पर
लगे न किसी की कभी नजर

कंचन बदन काली जुल्फें तेरी
गाल पे तेरी ये तिल सुनहरी  
मधु टपकते मधुबन से फिर  
निगाह तो नहीं हटती है मेरी    

मधुशाला अपने साजन का
गुल है वो अपने गुलशन का
क्यों घूरता हूँ उनको मैं ऐसे
शान है वो अपने उपवन का

सौम्य सूरत व सुंदर काया
भँवरा मन फिर दौड़ा आया
पाकर उनकी शीतल छाया
लौटकर फिर घर को आया

सच्ची है मन की अच्छी है
दिल से बिलकुल बच्ची है  
देखता रहता तस्वीर उनकी
फिर भी न कुछ कहती है

चुप क्यों हो कुछ बोलो तो
लब अपना तुम खोलो तो
मूरत लगती हो चाहत की
अंतरपट अपना खोलो तो 

घायल व्यथित कोमल मन
व्याकुल रहता वो हरेक क्षण
मिले छाव गर कभी तुम्हारा
होगा धन्य “निर्भीक” जीवन  

                        प्रकाश यादव “निर्भीक”
                        बड़ौदा – 27-06-2015