इस कदर
अचानक
जाना आपका
झकझोर दिया
दिल को अंदर से,
जिस दिल के अंदर
पल रहे थे
कई मासूम ख्वाब
जो पूरे होने थे
निकट भविष्य में,
भविष्य में ही तो
करना चाहते है हम
सब कुछ
वर्तमान को ठगते हुये
भूतकाल को पीछे छोड़,
यह जानते हुये
कि भविष्य कभी भी
अपना नहीं हुआ है,
वह तो बस
वर्तमान बीज का
एक कोमल सा
नन्हा पौधा है,
जो हमारे कर्मबीज पर
निर्भर करता है
साथ ही
सुनहरे भविष्य
और यादगार भूतकाल
का निर्माता है,
अधूरे ख्वाब के
टीस भरे चुभन
बरबस याद दिला देती है
आपका न होना
इस रहस्यमयी दुनियाँ में
जिसकी रहस्य को
आज तक कोई
जान ही नहीं पाया..............
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 13-06-2015
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