-:यादों के सहारे :-
बीती यादों के सहारे कुछ
पल
जीना
ही सकूँ दिल को देता है
मन
बेचैन होता है देखने को
जो न
दरश नैन को देता है
सुबह
की आस शाम ए गम
दर्द
ए टीस रैन को देता है
खोजता
दिनभर आकुल नयन
परेसां
कर ये चैन को देता है
जिसकी
न थी उम्मीद अभी
वही
तो दुख सब को देता है
छुपा
कर दर्द ले हंसी लबो पे
पयाम
ये तो रब को देता है
क्यों
छिनते हो प्यारा सब कुछ
जो
भी तू “निर्भीक” को देता है
प्रकाश यादव
“निर्भीक”
बड़ौदा – 28-05-2015
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