Wednesday, June 03, 2015

-:यह जीवन:-





यह जीवन  
जो नश्वर है
फिर सत्य जगत का
जहां हर पल
जीवन जीता है
वह इंसान
जिसके जीवन का
उनकी नजर में  
कोई औचित्य नहीं,
जो पल पल
मर मर कर
जीता है जीवन
इस उम्मीद के साथ
कि कभी न कभी
होगी भोर
उनके जीवन के
उस स्याह रात की
जहां उसने दफना दी  
अपनी सारी
मखमली ख्वाहिशें
सुनहरी किरणों की
खुशनुमा आस में
मगर निष्ठुर दुनिया
अपनी सारी हदें
पार कर कुचल
देती है उनके
सतरंगी सपनों को
और फिर एहसास
दिला देती है उसे
जीवन की सच्चाई
जिसमें फिर से
झुसलते हुये जीता है
वही जीवन     
इस नश्वर जगत में..............
                        प्रकाश यादव “निर्भीक”  
                        बड़ौदा – 18-05-2015

No comments: