Tuesday, June 30, 2015

-: तेरी महफिल में :-





तेरी महफिल में जाने की चाहत न थी
अंधेरी रात ने ही मुझे सामने ला दिया

भूल जाऊँ मैं कैसे तेरी वो बेवफाई को
मुझे जिंदा लाश बना सामने ला दिया

मोहब्बत तो किया था तेरी सीरत से
सूरत की सच्चाई को सामने ला दिया

खता मेरी थी जो वफा कर बैठा तुमसे
बेवफाई का आईना तू सामने ला दिया

खुद से प्यार करू या नफरत तुमसे
तुमने तो दोराहे के सामने ला दिया   

खुश रहो तुम सदा अपनी है चाहत पे
भुला कर सब खुद को सामने ला दिया

मत करना किसी को फिर कभी घायल
हकीकत तेरी तो सबके सामने ला दिया

“निर्भीक” को जीना है जी लेगा तन्हा
मुरझाया फूल खिलाकर सामने ला दिया   

                        प्रकाश यादव “निर्भीक”
                        बड़ौदा – 27-06-2015   

No comments: