अपना है ये
पल
पल ये अपना
रे,
जी ले तू
जीभर
कल क्या जाने
रे,
बहती है ये
धारा
कल कल करती रे,
तू जी ले
जीवन
संग संग इसके
रे,
मधुबन में
खिलते
गुल काँटों संग
रे,
हँस ले तू भी
तो
इस महफिल में
रे,
मस्ती का आलम
कल किसने
देखा रे,
कंपन ये धरती
अब
करती हर पल
रे,
प्यारा ये
जीवन
है प्यारी
यादें रे,
कर जा तू ऐसा
कि दुनिया
देखे रे,
न कल था वश
में
न कल है अपना
रे,
जी ले तू इस
पल
फिर न जीवन रे,
डरना फिर
क्यों जब
रब है अपना
रे,
बनकर जी
“निर्भीक”
है सपना अपना
रे,
अपना है ये
पल
ये पल अपना
रे..............
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा - 15-05-2015
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