-: नम ये आँखें :-
नम ये आँखें कह
रही है
गम ये हुआ है कम नहीं
भर दे कोई खाली जगह
ऐसा किसी में दम नहीं
दिन के सफ़ेद उजसों से
हटता है ये भी तम नहीं
रुखरा सा है सबकुछ अब
अहसास वैसा नरम नहीं
है चमन में वो सब गुल
खिलना उनका धरम नहीं
बिखरे बिखरे रहते सब
अपनापन सा हम नहीं
वैसा मधुर अद्भुत बंधन
है किसी का करम नहीं
आयेगा नहीं वो “निर्भीक”
सच है ये सब भरम नहीं
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 01-06-2015
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