ख्वाब तो ख्वाब है, हकीकत से
इसे क्या लेना
जो न खुली आँखों में, वो
ख्वाब में जी लेना
कडुआ नीम हर तरफ, मीठा उम्मीद
क्यो लेना
तनाव है बहुत दुनिया में, मौका मिले
हँस लेना
जो सच सच ही रहेगा, बेवजह
फिक्र क्यों लेना
काँटों भरी महफिल में, गुलाब सा खिल लेना
पथरीला पथ जीवन का, चुभे
पग पर चल लेना
छूटेंगे संग अपनों का, गम
छिपा कर चल लेना
आना जाना जीवन का, प्यार
सभी से कर लेना
आज जो व कल नहीं, नफरत
दिल में न लेना
है खुदा अपना ही तो “निर्भीक” बन तू
जी लेना
अपना कौन पराया कौन, जिगर
में दफना लेना
प्रकाश
यादव “निर्भीक”
बड़ौदा
– 14-05-2015
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