Thursday, May 07, 2015

-:कंचन सी हमसफर :-




आज जीवन के
पंद्रह बसंत
संग गुजरे अविरल
तुम्हारे साथ,
कुछ खट्टे
कुछ मीठे  
अनुभूति लेकर,
भर दिया तुमने
अनेकों रंग
जीवन में
अपने विवेक, त्याग,
विश्वास और करुणा के,      
तुम्हारी उन्मुक्त हंसी
कम करती रही
अक्सर  -                      
मेरे उदासीपन को,
सादगी भरी गुलशन में
उगाये तुमने दो फूल
अपने मधुर यादों के,
जिसे सुबह वो शाम
देख दिल बाग बाग
हो जाता है अपना,
शुक्रगुजार हूँ मैं
उनका जिसने दिया
कंचन सी हमसफर    
मेरे जीवन सफर में .....  
                   प्रकाश यादव “निर्भीक”
                   बैंक ऑफ बड़ौदा
                   बड़ौदा -23-04-2015

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