Thursday, May 14, 2015

-:माँ:-




माँ
तेरे आँचल के
छाव में फिर से
सो जाने को जी चाहता है,
जहां दुनिया की सारी
झंझावतों से दूर
बस तेरी प्यार की
वो अद्भुत दुनियाँ है
जिसमें सुकून के सिवा
कुछ नहीं मिलता,
तेरे हाथ सिर पर पड़ते ही
बिन बुलाये नींद
न जाने कहाँ से
दौड़ी चली आती है,
जिसे बुलाने को कभी कभी  
मसक्क्त करनी पड़ती है,
बिन कहे समझ जाती है
सब मनोस्थिति
ये कौन सी शक्ति है माँ
पास तुम्हारे जो
दुनिया में कहीं नहीं मिलती
सिवाय तुम्हारे,
दूर रहकर भी तुम
पास रहती हो अक्सर,
जब जब महसूस होती है
माँ - कमी तुम्हारी और
अपनी ममता की आँचल लेकर
खड़ी रहती हो वरबस
जिसमें फिर से छुप जाने को
ये जी चाहता है........माँ .
             प्रकाश यादव “निर्भीक”   
             बैंक ऑफ बड़ौदा , बड़ौदा
             09 मई 2015

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