Thursday, April 16, 2015

इस जहां से जाने वाले



इस जहां से जाने वाले

इस जहां से जाने वाले,
बिन तेरे अब चैन कहाँ
धरती पर मेरे रखवाले,
बिन आँसू ये नैन कहाँ 

दिन बीतता उलझन में
नींद भरी अब रैन कहाँ
कैसा हूँ अब कौन हूँ मैं
खबर को वो बेचैन कहाँ 

सब रिश्ते है मतलब के
निःस्वार्थ भरा प्रेम कहाँ
बढ़ रही है परस्पर दूरी  
पूछता कुशल क्षेम कहाँ

मोहब्बत की बगिया में
प्यार का वो फूल कहाँ
नफरत की वादियों में
मानता कोई भूल कहाँ  

मौजूद आप जब तलक
थी मायूसी की घटा कहाँ
पलक झपकते उड़ चले
मायूस हो गया ये जहां

डर लगता है दुनिया से
छोड़ न दे कोई ये जहां
है अकेला जग में निर्भीक“
ढूंढेगा फिर वो कहाँ कहाँ

                    प्रकाश यादव “निर्भीक”
                          बैंक ऑफ बड़ौदा
                          बड़ौदा – 16-04-2015  

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