देख न मुड़कर कभी, जिंदगी नाम है चलते जाना
कौन रुका है इस जहां में आया जो उसे है जाना
कौन रुका है इस जहां में आया जो उसे है जाना
क्षणिक है ये प्यार
सबका रोको मत करते जाना
किसको है ये पता कब रुकना है फिर चले जाना
किसको है ये पता कब रुकना है फिर चले जाना
साथ जाता नहीं कुछ सब कुछ देकर चले जाना
रंग मंच ये दुनिया सारी फर्ज अदा कर है जाना
रंग मंच ये दुनिया सारी फर्ज अदा कर है जाना
आयेगा जो न लौटकर कभी तो पीछे क्यों जाना
खुश रहने दे उसे अब हमें भी तो है वहीं जाना
खुश रहने दे उसे अब हमें भी तो है वहीं जाना
कटीली है पगडंडियाँ,
मगर मंजिल है पहुँच जाना
हौंसला कर न कम कभी, सयाना वही जो जाना
हौंसला कर न कम कभी, सयाना वही जो जाना
यादें बहुत है जीने के लिए “निर्भीक” ये जाना
दिल दुखता है किसका नहीं ये जख्मी ही जाना
प्रकाश
यादव "निर्भीक"
बड़ौदा – 20-04-2015
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