Tuesday, March 17, 2015

-:अनछूए अहसास:-



 
आज  नदिया किनारे,
 पेड़ के छाव में
बैठा नितांत अकेला
दुनिया के भीड़ से दूर,
खो गया जीवन के
सुनहरे अतीत के आँगन में
 मंद मंद बहती
बयारों का सकूँ भरा
एक मधुर अहसास के बीच,
कल कल बहती धारा
जीवन के हर धड़कन के साथ
 निहारता रहा जीवन के
उस पलछिन को
जिनकी मधुर यादें
अनछूए अहसास लिए 
स्मृति पटल पर अंकित है,
रुकती नहीं एक भी धारा
किसी के इंतजार में
जो चला गया छोड़कर
या कभी था जो साथ में
जीवन के हर धारा के साथ
है वो मौजूद इन फिज़ाओं में
जिसके स्पर्श मात्र से
महसूस होने लगता है
रूह को होना उनका
इर्द गिर्द उनके 
विभिन्न रूपों में .....

                  प्रकाश यादव “निर्भीक”
                 बड़ौदा 14-03-2015

No comments: