Saturday, March 21, 2015

-:जीवन के पल :-



-:जीवन के पल :-
धीरे धीरे तू चल
रे जीवन के पल
कि कोई आता है ।
है बहुत वो करीब
जीवन है खुशनसीब
मेरे दिल को भाता है।
रूठकर न गया कहीं
थोड़ी देर ओझल सही
फिर वो मुझे बुलाता है।
है सामने नहीं कहीं   
उनकी साया ही सही
मीठी याद दिलाता है ।
आँसू न छलके कहीं  
हंसी न सरके कहीं
हमें सीने से लगता है।
भूल जाऊँ उन्हे कैसे
हर पल सांस है जैसे
धड़कन बन धड़कता है ।
मिलने जाऊँ तो कहाँ
न जाने है किस जहाँ
दूर से ही मुस्कुराता है।
करूँ गर कभी कोई खता
मानो उसे है नहीं वो पता
सब छुपा हमें हँसाता है ।
रूठ जाऊँ गर मैं कभी
आँखों में वो लेकर नमीं
फिर वो धीरे से मनाता है।  -
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बैंक ऑफ बड़ौदा
बड़ौदा -20-03-2014

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