Friday, August 21, 2015

-:श्वेत–श्याम तस्वीर में:-





जब भी देखता हूँ
तुम्हें हँसते हुए
तुम्हारी श्वेत–श्याम
तस्वीर में
न जाने क्यों
हृदय में एक
सुकून का अहसास
होता है
अनायास ही
चित शांत हो
निहारने लगता है
तुम्हारी कुमुदनी
हंसी को
तुम्हारे काले घने
सलीके से बिखरे
खूबसूरत बालों को
जिसे अभी अभी
मदमस्त बयार
छूकर निकला है
कान में लटकते
लंबी कानबाली
जिसे मानो कोई
संग लेने को आतुर है
ठुढ़ी पर वो काला
मनमोहक तिल
जो बचाती है तुम्हें
दुनिया की बुरी नजरों से
तुम्हारी ये कजरारे
नशीली आंखे
कर लेती है मुझे 
गिरफ़्त में अपनी
काश सच में “निर्भीक”
हो जाता गिरफ़तार
तुम्हारे गले में
तुम्हारा पेंडल बनकर
तुम्हारे दिल के
बिलकुल करीब ताउम्र ............
                  प्रकाश यादव “निर्भीक”
                  बड़ौदा – 30-07-2015

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