जुल्फ न
बिखेरो तुम चेहरे पे
दीदार तेरा
फिर न हो पाएगा
छुपाकर मुख
आधा देखती हो
मचल दिल फिर न
रह पाएगा
चाँद भी
खूबसूरत दिखाता है
ढका बादलों
से न रह पाएगा
खुद और हमें
आधा छुपाया है
गौरी शंकर
जुदा न रह पाएगा
सावन है और
मौसम तुम्हारा
मिलन बिना तो
न रह पाएगा
चाहे छाले
पड़े तो पड़े पग मेरे
मंजिल तलक न
रुक पाएगा
तेरी
मुस्कुराहट ही तो ऊर्जा है
गम तो कभी न फटक
पाएगा
ऐतराज है गर
मेरी दीवानगी से
इजहार फिर भी
न कर पाएगा
देखती हो यों
नशीली आंखो से
मन तड़पकर तो
न रह पाएगा
छुपा लो मुझे
भी इन्ही लटों में
ऐसी छाव कहीं
न मिल पाएगा
इसी अदा पर
फिदा है “निर्भीक”
तुम्हारे
बिना तो न रह पाएगा
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 03-08-2015
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