मत रोको तुम
जमाने को
कह लेने दो
हर बात उसे
थक जायेंगे
खुद एक दिन
सच का होगा
अहसास उसे
अंधेरे की
उम्र ज्यादा नहीं
सुबह ही होगी
विश्वास उसे
हम तो चलेंगे
पाक राह पे
न छोड़ेंगे
नापाके रास्ते उसे
आईना जो झूठ
नहीं बोलता
कभी तो चेहरा
दिखाएगा उसे
शर्मसार खुद
ब खुद होगा वो
जमीर जब
झकझोर देगा उसे
चले थे जिस
राहे कदम हम
हमराही कभी
तो बनाएँगे उसे
सच की जीत
हुई दुनियाँ में
यह बात फिर
बतलाएंगे उसे
हमने फूल
रोपा सबकी खातिर
अंजामे शूल भी
समझाएगे उसे
दुश्मनी
निभानी हमे नहीं आती
दोस्ती का
वसूल पढ़ाएंगे उसे
मोहब्बत में
भी है ताकत बहुत
मुसकुराते
हुए समझायेंगे उसे
मत हो उदास पलभर
“निर्भीक”
सकून का चाँद
नजर आएगा उसे
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 24-08-2015
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