कोई ताकत उसे
तो अलग नहीं कर पाया
शायद माँ का
सबसे प्यारा वो बच्चा होगा
उसके दुश्मन
है बहुत आदमी अच्छा होगा
याद करते है
सभी वो दिल का सच्चा होगा
खाके ठोकर भी
वो रुकता नहीं है रस्ते में
मन्ज़िलें
पाने का जिस में भी होसला होगा
सभी मज़हब का
तो किया वो जो इज्जत
परवरिश उनके
माँ बाप का उम्दा होगा
टकरा कर
लहरों से आ गया फिर किनारा
कहीं दूर से
अजिज़ कोई तो पुकारा होगा
छुपके देखता
था कभी अपनी निगाहों से
आज खुद ही
खुद से वो छुपाया होगा
डूबने को एक
दरिया ही तो काफी है
समंदर यही सोच
डूबने से बचाया होगा
गेसूओं को
होले से सहलाया था कभी
आज चुपके से
कोई उसमें सोया होगा
छोड़ दो
तमन्ना अब “निर्भीक” उसकी
ज़ख्म अभी भी
हरा उसका रहा होगा
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 09-02-2016
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