Friday, February 26, 2016

-:शबनमी रात:-



पल दो पल का साथ तेरा
अहसास तुम्हारा दिल में है
शबनम से भीगीं रातों में
खुशबू वही महफिल में है

खो गया तुम्हारी बातों में
अदा जो तुम्हारी कातिल है
तुम समझो इत्तेफाक इसे
हुआ बहुत कुछ हासिल है

हमसफर कुछ देर ही सही
महकता लब ए साहिल है
छुअन होले से अंगुलियों के
सिरहन रग में शामिल है  

किसे कहूँ टीस जिगर की
समझे सब तो जाहिल है
ये दुनियाँ है सौदागिरों की
प्रेम को समझे फाजिल है

वंदना किसकी करूँ यहाँ
सब बेवफाई में शामिल है  
जब संग तू फिकर क्यों
तू मस्त मग्न गाफ़िल है

बहुत कठिन है प्रेम डगर
हर शख्स यहाँ संगदिल है  
एक तुम्हीं जिसे कह सकूँ
“निर्भीक” के तू काबिल है
            प्रकाश यादव “निर्भीक”
            बड़ौदा – 04-02-2016 

No comments: