Friday, February 26, 2016

-: तुम्हारा हो न पायेगा :-



कभी मझधार दरिया का किनारा हो न पायेगा
कर लो लाख कोशिश वो हमारा हो न पायेगा

चलते रहे हम सदा उसूल से अपने पथ पर
जो दिल नापाक खुदा का प्यारा हो न पायेगा

गुलशन के कली को इस जहां में रौंदने वाले
कभी वो किसी का कोई सहारा हो न पायेगा

क्यों उम्मीद लगाये बैठे हो अपने सरकार से
गरीबों के घर कभी उजियारा हो न पायेगा

जो घूमता जहाजों में हमारे पैसों से दुनियाँ
वो कभी हमारे सपनों का तारा हो न पायेगा


हमारे नेता उलझे है रईसजादों के चंगुल में
मुफ़लिसों का तो दूर अँधियारा हो न पायेगा

कहने को कानून समानता का संविधान में
आदमी का इस दौर में गुजारा हो न पायेगा

दाल रोटी को मुहताज लाखों हो गए यहाँ
अच्छे दिन का दुसरा नजारा हो न पायेगा

इस कदर असहिष्णुता गर देश में चलता रहा
तो फिर कभी आपसी भाईचारा हो न पाएगा 

मुँह की खानी पड़ी आसमान में उड़ने वाले
संभल वरना सत्तासीन दुबारा हो न पायेगा 

है बहुत ताकत जनता जनार्दन में “निर्भीक”
देख लिया एकबार फिर तुम्हारा हो न पायेगा

                        प्रकाश यादव “निर्भीक”

                        बड़ौदा – 12-11-2015 

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