न तस्वीर
तेरी
न तुम हो
यहाँ
गीत प्रीत की
मैं कैसे
लिखूँ
ज़िकर किया
तुम मुकर गई
स्नेह जिगर
से
मैं कैसे
करूँ
तुम दूर नजर
दिल पास मगर
इजहार ए
मोहब्बत
मैं किससे
करूँ
सुनसान पड़ा
मदिरालय तेरा
अधरों से जाम
मैं किसका
पीऊँ
रूठो न तुम
अब मधुमास
में
ज़ुल्फों से तेरी
लिपटा कैसे करूँ
तुम बिन बैठा
मैं मधुबन में
मकरंद का
मधुपान
फिर किसका
करूँ
आओ न बनकर
तुम तितली
फूलों संग
भौंरा
तुमसे मिलूँ
न तस्वीर
तेरी
न तुम हो
यहाँ
गीत प्रीत की
मैं कैसे
लिखूँ
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 15-02-2016
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