जब जब चित
विचलित हुआ है
आपको ही
बाबूजी याद किया है
जब जब देखा
अनंत गगन को
आपसे ही तो
फरियाद किया है
नहीं कोई
अपना इस जगत में
गैर तो सबको
बरबाद किया है
कहते है सब न
तुम देखो पीछे
भूलूँ कैसे मैं
जो आबाद किया है
मालूम, न होगा मिलन
हमारा
बंद है वो, जो संवाद
किया है
रह रहकर नम
हो जाती आँखें
यह जो संग अहलाद
किया है
झूम उठे दिल
से आप ही तो
खुशनुमा पल
औलाद किया है
“निर्भीक”
जीना आपसे सीखा
न कभी कोई
उन्माद किया है
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 30-06-20
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