हाँ मैं
रुक जाता हूँ
तुम्हारी तस्वीर को
देखकर
कुछ पल के लिए
निहारता हूँ जीभर
तुम्हारे रुखसार पर
उस काले तिल को
जो अक्सर
खींच लेता है
अपनी ओर
मेरी निगाह को
काले हिरण की भांति
पता है
नहीं मिल सकता
ताउम्र तुमसे
तभी तो छू लेता हूँ
तुम्हारे मखमली
बिखरे बालों को
तस्वीर में ही
यह सोचते हुए कि
पीले सरसों के खेत में
बैठी तुम पास मेरे
कुछ कह रही हो
फाल्गुनी हवा के साथ
गुनगुनाते हुए
तुम्हारी वो उन्मुक्त हंसी
फिरोजी होंठों की
जो भुला देती है
क्षणभर के लिए
दुनियाँ की सारी बातें
हो जाना चाहता हूँ
मैं तेरा और तू मेरी
सदा के लिए
बस ख्वाबों की
महकती दुनिया में .................
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 16-07-2015
No comments:
Post a Comment