Friday, April 15, 2016

नींद उड़ गई


अपनी तो नींद उड़ गई तेरे फसाने में

दुश्मनी ले ली है सबसे खुद जमाने में

 

नफरत है यहाँ भी प्यार करने वालों से

मोहब्बत ए दीया महफूज नहीं ठिकाने में

 

कोई पत्थर कोई कांटे बिछाते है राह में

कतराता हूँ अब उल्फ़त ए राह दिखाने में

 

मज़हब व जाति में बटा है इंसान यहाँ

आतुर कई शैतान यहाँ चिराग बुझाने में

 

मत बांटो खुलेआम नफरत बाजार में

मसक्कत बहुत है अपना घर चलाने में

 

खुदा के घर में कभी कोई गैर नहीं होता

फिर क्यों हिचकते हो गले लगाने में

 

“निर्भीक” बेफिकर है इन सब चीजों से

तत्पर अक्सर सबको अपना बनाने में

                  प्रकाश यादव “निर्भीक”

                  बड़ौदा – 26-02-2016

 

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