जिंदगी तुझको तो बस ख्वाब में देखा हमने
हुई जब भोर तो बस किताब में देखा हमने
निराली बहुत थी रात तेरे ख्वाबे आगोश में
टूटी जो नींद मेरी नशा शराब में देखा हमने
दिखा न हसीन सपने जो हकीकत से दूर हो
दर्द दे जाती है बहुत खिताब में देखा हमने
ढह गये शान ए शौकत कई रईस जादों के
बर्बाद ए सितम बहुत शबाब में देखा हमने
रहने दो “निर्भीक” को खुद के ही दुनियाँ में
पहरे है बहुत काँटों के गुलाब में देखा हमने
प्रकाश
यादव “निर्भीक”
बड़ौदा
– 18.03.2016
No comments:
Post a Comment