Friday, April 15, 2016

-:इतना सा अधिकार :-


 

 

इतना तो अधिकार

तुम दो मुझे

कि पी सकूँ

जाम ए जिंदगी की

तुम्हारी मदभरी

आँखों के प्यालों से

और डूब जाऊँ इनकी

गहरी समंदर में

दुनियाँ को भूलकर

इतना तो अधिकार ......

तुम दो मुझे कि

छू सकूँ तुम्हारे

सुर्ख रुखसार को

मखमली अहसास लेकर

भूलकर जिंदगी के

उबड़ खाबड़ पगडंडियों को

इतना तो अधिकार ....

तुम दो मुझे कि

तुम्हारे फिरोजी होंठो पे

रखकर अपनी एक अंगुली

चुपचाप मैं बोलता रहूँ

मन की बातें

तुम्हारी आँखों में

अपनी आँखें डालकर

और तुम सुनते रहो

चुपचाप बेसुध होकर

इतना तो अधिकार ....

तुम दो मुझे कि

कर दूँ निसार तुम्हें

सर्वस्व जीवन बेहिचक

कर लूँ अंगीकार तुम्हें

आकर ऋतु प्यार में

दुनियाँ से बेपरवाह

कभी “निर्भीक” होकर

इतना सा अधिकार.....

तुम दो मुझे कि ..... 

              प्रकाश यादव “निर्भीक”

            बड़ौदा – 13.03.2016

No comments: