बेटे को इश्क़ ओ मुहब्बत
चाहिए
अब्बा को होनी शिकायत
चाहिए
डांटना बच्चों को हरदम है
ग़लत
थोड़ी सी उनकी शरारत
चाहिए
जल रहा है हर तरफ अब हिन्दूस्तां
नेताओ को बस अपनी शोहरत
चाहिए
भूखे नंगों की कहाँ है
फिक्र अब
मज़हबी उनको सियासत चाहिए
उनको थोड़ी अक्ल दे मेरे
खुदा
अब तो बस तेरी ही रहमत
चाहिए
इक दवा इंसान
की अब है बची
अब मोहब्बत का ही शरबत
चाहिए
नशा भांग में नहीं बस
दिमाग में है
दरिया दिली का
अपना हिम्मत चाहिए
बहुत हो गई अब दुनियाँ की
बेरुखी
थोड़ी सी उनकी मोहब्बत
चाहिए
“निर्भीक” की है बस इतनी आरजू
मेरे मौला तेरी रहमत
चाहिए
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा –
28-02-2016
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