Friday, April 15, 2016

-: तुम मुझे भूल भी जाओ:-


 

 

तुम मुझे भूल भी जाओ तो ये हक है तुमको

तुम्हारी साँसों से मेरी साँसे ये शक है तुमको

 

हर कदम साथ चलना है तुमने किया है वादा

छोड़ दो साथ राहे मंजिल छूट बेशक है तुमको

 

यादें तुम्हारी रहेगी साथ मेरे उम्र भर के लिए

दर्द मेरी झोली में खुशियों का फ़लक है तुमको 

 

चाँद सितारों संग तुम मुस्कुराना सदा गगन में

अपनी हसरतों की दुनियाँ की ललक है तुमको

 

मगर याद रखना मिले थे कभी राहे वफा में

न जाने क्यों अब बेवफाई की सनक है तुमको

 

लूटा दी हमने सारी खुशियाँ तेरी हंसी के लिए

क्या रह गई है कमी जिसकी कसक है तुमको

 

सही कहा है जमाने में कभी एतबार न करना

रहो मुस्कुराते हुए मेरी दुआ बेहिचक है तुमको  

 

मुझे तो आदत है काँटों संग रात गुजारने की

तेरे गेसूओं की सौगात मुबारक महक है तुमको

 

डर है कहीं गुमनाम अंधेरे में तुम खो न जाओ 

चाह जो चकाचौंध रोशनी की चमक है तुमको

 

“निर्भीक” का घर खुला था और खुला ही रहेगा

लौट आना कभी भी इजाजत बेझिझक है तुमको

                        प्रकाश यादव “निर्भीक”

                        बड़ौदा – 03.03.2016

 

 

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