आज तुमने
याद किया होगा
बड़ी शिद्दत से
तभी तो मैं
सरक गया
पानी पीते हुए
और याद आ गई
झट से तुम्हारी
कही हुई वो बातें
कि जब भी सरको
तो समझ लेना
कि मैंने याद
किया है तुम्हें
लौट गया मैं
फिर से तुम्हारी
उस दुनियाँ में
फागुनी अहसास लेकर
तुम्हारी रेशमी
भीगी चुनरिया में
छुपकर तुम्हें
छूकर निहारते हुए
तुम्हारी आँखों के
अथाह समंदर में
डूबना खुद भूलकर
फिरोजी होंठों की
तुम्हारी निश्चल हंसी
कल्पनाओं की उड़ान
सतरंगी सपनों के संग
जो लौटकर नहीं
आयेगी हकीकत में
सिर्फ सरकने के .....
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 09.03.2016
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