Saturday, November 07, 2015

-:तुमसे दूर :-





तुमसे दूर होकर
तुम्हें सिर्फ
अब याद ही
कर सकता हूँ
तुम्हारा गुजरते हुए
बगल से अक्सर
मिलकर चले जाना
मुझसे मुस्कुराते हुए
उस भीड़ में भी
जहाँ जीभर देख भी
नहीं पाता था तुम्हें   
पता है तुमको  
तुम्हारी छोटी सी
मुस्कुराहट
मेरी जिंदगी को
मुस्कुरा देती थी
दिनभर के लिए
पता नहीं चलता 
कब शाम हो गई
उस पल के साथ
जिसे बांध कर
रखता था पास अपने 
तुम्हारे जाने के बाद
तब तक के लिए
जब तक फिर
दुबारा न देख लूँ
तुम्हारी हंसी को  
आज भी वही सोच
तुम्हें याद कर
करीब पाता हूँ
तुमको और तुम्हारी
वो मुस्कान को
जिसे देखे न जाने
कितने मुद्दत हो गए ........
            प्रकाश यादव “निर्भीक”
            बड़ौदा – 15-09-2015

No comments: