मनाने की
कोशिश तो जारी रहेगी
आज नहीं तो
कल मेरी बारी रहेगी
बिठायेंगे
तुम्हें अपने पलकों में तब
बनके जब फूल
मेरी फूलबारी रहेगी
कह देना हर
बात जिगर की अपनी
शिकवा नहीं
तब कोई तुम्हारी रहेगी
खफा भी चाहे
हो जाओ तुम मुझसे
चाह की तो
वही मेरी खुमारी रहेगी
जिंदगी जीने का
है सलीका अपना
नजर में मेरी
तू हमेशा प्यारी रहेगी
होगी जब
शोहरत जमाने में तुम्हारी
खुशी के गुल
मेरी हर क्यारी रहेगी
दामन में जगह
गर चाहो तो दे देना
वरना तमन्ना अपनी
तो अधूरी रहेगी
सफर की डगर
है जुदा अपनी जगह
अपनी तो ऐसी ही
अक्सर यारी रहेगी
न ख़्वाहिश है
दूजा “निर्भीक” की कोई
ये समझ जाना
तेरी समझदारी रहेगी
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 26-08-2015
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