Saturday, November 07, 2015

-: अधूरी मुलाक़ात :-





तिरछी नजरे पूरी रात सोने न दिया
जागता रहा वो लम्हात सोने न दिया

तुम्हें भूल जाऊँ या रखूँ याद सदा
दिल में रही जो बात सोने न दिया

ख़्वाहिश थी सफर साथ चलने की
अधूरी अपनी मुलाक़ात सोने न दिया

कह दूँ दिल की हर एक बात तुम्हें
न कहने की हालात ने सोने न दिया

हर सीप को मयस्सर नहीं स्वाति बूंद
यही एक सवालात ने सोने न दिया

दिल्ली दूर नहीं तुमसे मिलने की                         
उमड़ते ये जज़्बात ने सोने न दिया

तुम्हीं हो मेरी ख़यालों की मलिका 
मन बसे ये खयालात सोने न दिया

यों तो रूबरू न हो सका अबतलक
मोहब्बत की सौगात ने सोने न दिया

कहते सब शायर दिलफेंक दीवाना है
लगा दिल में आघात सोने न दिया

साफ दिल का कद्र कहाँ होता है यहाँ
दुनियाँ की यही करामात सोने न दिया

क्यों किया ज़िकर किसी से “निर्भीक”
आंसूओं की ये बारात सोने न दिया

                  प्रकाश यादव “निर्भीक”
                  बड़ौदा – 04-11-2015

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