Thursday, November 05, 2015

-: तुम्हारी तस्वीर :-





तुम्हारी हर
तस्वीर को
सजाकर रखा है
मैंने अपने
दिल के एल्बम में
जब जब देखने को
मन करता है
तो पलट लेता हूँ
एक एक कर
अपनी मनोदशा के
अनुरूप
कभी तुम्हारा
मुस्कुराता चेहरा
गमों को भुला देता है
पलभर के लिए
तो कभी खिड़की से
छुपकर देखती हुई
वो उन्मुक्त हंसी
जो मन ही मन
हंसने को बाध्य
कर देती है
तो कभी तुम्हारे
ज़ुल्फों से छन कर
आती हुई वो बुँदे
ठंढक दे जाती है
अचानक
तुम हर वक्त
एक संजीविनी बन
आती हो मेरे
आँखों के सामने
तुमसे मिल पाऊँ
ये तो किस्मत की बात है
मगर हर रोज तुमसे
रु ब रु हो जाता हूँ
कम से कम एकबार
इसी तस्वीर से होकर ..............
                  प्रकाश यादव “निर्भीक”
                  बड़ौदा – 31-08-2015

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