Thursday, November 05, 2015

-: धागा प्रेम का :-





रूठ जाना
तुम्हारा
फिर
मनाना
मेरा
ना करके 
तुमसे हाँ
कराना मेरा
कैसा है
ये धागा 
प्रेम का तेरा
टूटना
और
जुड़ना   
बारंबार तेरा  
न देख पाऊँ
तो चैन कहाँ
मिलन का
इनकार तेरा
न चाहकर
पलट
देखती हो
अनोखा है
इकरार तेरा
समझ
न पाया
अदा तुम्हारी
गहरा बहुत है
संसार तेरा  
मैं तो बस
देख तुम्हें
हो जाता हूँ
स्वयं तेरा  ................. 
            प्रकाश यादव “निर्भीक”
            बड़ौदा – 26-08-2015

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