रूठ जाना
तुम्हारा
फिर
मनाना
मेरा
ना करके
तुमसे हाँ
कराना मेरा
कैसा है
ये धागा
प्रेम का
तेरा
टूटना
और
जुड़ना
बारंबार तेरा
न देख पाऊँ
तो चैन कहाँ
मिलन का
इनकार तेरा
न चाहकर
पलट
देखती हो
अनोखा है
इकरार तेरा
समझ
न पाया
अदा तुम्हारी
गहरा बहुत है
संसार तेरा
मैं तो बस
देख तुम्हें
हो जाता हूँ
स्वयं तेरा .................
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 26-08-2015
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