Saturday, November 07, 2015

-: प्यार अमर है :-





तेरा मेरा ये प्यार अमर है
तेरे बिना यह सूना घर है

आ जाओ न तुम कहीं से   
बीती जाए अपनी उमर है

बहती धारा ये कहती जाए  
प्रेमी तुम्हारा अब किधर है

जब जब देखूँ राह तुम्हारी
तब तब भिंगे मेरी नजर है

प्रेम का धागा टूट न जाए
तेज धार सा नदी लहर है

बैठ दूर तुम न देखो ऐसे
बाबरा हूँ तो तेरी असर है

इन्द्र रोया क्यों सावन में
शची सी जब हमसफर है

बीता नहीं एक पल ऐसा
याद तुम शाम व सहर है 

“निर्भीक” को आस तुम्हारी
रह गई बस यही कसर है

            प्रकाश यादव “निर्भीक”
            बड़ौदा – 23-09-2015 

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