Saturday, November 07, 2015

-: चाँद सा छाया :-





मैं जलता दिनभर सूरज संग 
बन चाँद शीतलता तुम देती

कांटो से छलनी ये पग होता
तब मरहम चाँद सा तुम देती

जब अंधेरी रात को मैं खोता  
बन पूनम चाँद राह तुम देती

जब खोया खोया दिल होता
मुस्कान चाँद सा तुम देती

अदभूत प्यार यह निराला है
प्रेम चाँद सूरज का तुम देती

जब भी देखूँ मैं नील गगन
दरश चाँद ईद का तुम देती

कभी बरसे नीर जब नयन से
तब दामन चाँद का तुम देती

क्यों झुलसता फिर “निर्भीक”
गर चाँद सा छाया तुम देती

            प्रकाश यादव “निर्भीक”
            बड़ौदा – 23-09-2015 

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