Thursday, November 05, 2015

-: तुम बिन सूना :-





तुम बिन सूना पिया मोरा अंगना
जिया न सुहाए हाथ मोरा कंगना

दौड़ी दौड़ी जाऊँ मैं देहरी से उठके
नजर न आये कहीं मोरा सजना

कैसी प्रीत तूने निभाई रे मुझसे
भिंगीं भिंगी सी रहे मोरा नयना

है रीत जगत की मैं तो ये जानूँ  
दिल तो न माने मोरा ये कहना

हंसी ठिठोली सब अब तो भूली  
मोरा जी करे बस रोते ही रहना

सुबह जो न देखूँ तो शाम से पूछूं
आस में ही बीत जाये मोरा रैना

क्यों सजूँ संवरू मैं कोरा ये जीवन
तन में न दमके कोई मोरा गहना

जाऊँ मैं भी अब पिया तेरे घर को
कह दो न मुझसे सज के तू रहना 

भाई भतीजा है झूठा इस जगत में
तेरे संग जीना मरना है मोरा सपना

जनम जनम का तूने वचन दिया  
तुम विरहन छोड़ गये क्यों कहना

“निर्भीक” बन अब जीऊँगी जहां में
हो सके तो कभी तुम लौटके आना

                  प्रकाश यादव “निर्भीक”
                  बड़ौदा – 27-08-2015  

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