Saturday, June 04, 2016

तबाह मत कीजे

जिन्दगी यों तबाह मत कीजे
जो नहीं संभव आह मत कीजे

है खुदा को वही अगर मंजूर
अश्क से तर निगाह मत कीजे  

हौंसला है बुलंद तो गम क्यों
डर कभी रात स्याह मत कीजे 

हो बसर थोड़े में खुद्दारी से
तो कभी और चाह मत कीजे

है बहुत मतलबी लोग यहाँ
हर किसी से सलाह मत कीजे

वो कभी बेवफाई गर कर ले
आप नाजुक गुनाह मत कीजे 

मंजरे प्रेम का पथिक “निर्भीक”
आप दुश्मनी निबाह मत कीजे
            प्रकाश यादव “निर्भीक”

            बड़ौदा 13.04.2016 

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