जिन्दगी यों तबाह मत
कीजे
जो नहीं संभव आह मत
कीजे
है खुदा को वही अगर
मंजूर
अश्क से तर निगाह मत
कीजे
हौंसला है बुलंद तो गम क्यों
डर कभी रात स्याह मत
कीजे
हो बसर थोड़े में खुद्दारी
से
तो कभी और चाह मत कीजे
है बहुत मतलबी लोग यहाँ
हर किसी से सलाह मत
कीजे
वो कभी बेवफाई गर कर ले
आप नाजुक गुनाह मत
कीजे
मंजरे प्रेम का पथिक “निर्भीक”
आप दुश्मनी निबाह मत
कीजे
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा 13.04.2016
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