Saturday, June 04, 2016

-: चाँद ख्वाब में :-


काले घने
जुल्फ ए मेघ में  
आज देखा मैंने
मन्द मन्द मुस्कुराते हुये
सपनों के उस चाँद को
जो ख्वाबों में ही
दिखता है अक्सर
हकीकत की दुनियाँ से
दूर बहुत दूर
कजरारे नयनों से
देख रही थी वो
छुपकर लजाते हुये
फिरोजी होंठों में
मधुर मुस्कान लेकर
धवल चेहरे के साथ
तभी समझ आया
क्यों कोई चकोर
देखता है बेसुध होकर
अपने चाँद को
बिना फिकर किये
अपनी जान की
टकटकी लगाकर
जिसकी चाँदनी में
नहाता है वह जीभर
भूल जाता है दुनियाँ को
कुछ देर दीदार करते हुये
चुपचाप वो रातभर
नयनाभिराम के लिए
ये क्या कम है
कि ख्वाबों में ही
जी ले हम अपनी जिंदगी
क्योंकि हकीकत की राह
दुर्गम और दुर्लभ होती है
मंजिल पाने की लिए   
            प्रकाश यादव “निर्भीक”

            बड़ौदा – 10.04.2016 

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