Saturday, June 04, 2016

-:अनोखे अंदाज में:-


कभी कभी मुझसे 
तुम्हारा रूठ जाना   
एक तरीका है तुम्हारा
अनोखे अंदाज में 
प्यार जताने का
और मेरा तुमसे
महज यह कह देना
कि मुझे तुमसे प्यार है
काफी नहीं होता
किसी रिश्ते को
संतुलित करने के लिए
त्याग, समर्पण और
आपसी समझ ही
जीवन के नाव को
धारा के प्रतिकूल
तीव्रता से लेकर जाती है
मंजिल की ओर
तुम्हारी साफ़गोई ही तो
जो तुम्हारी वाणी में है  
खींचती है मुझे
तुम्हारी तरफ अक्सर
क्योंकि  ---
जीवन में पारदर्शिता
जितनी अधिक होती है
सफर उतना ही सुगम
और सुखद होता है
मगर हाँ -
मुझे कचोटती है
तुम्हारी नाराजगी
शायद मुझे अब
आदत सी हो गई है
तुम्हारे अल्हड़पन के साथ  
उन्मुक्त गगन में
विचरण करने की
वास्तविकता से अनभिज्ञ होकर
            प्रकाश यादव “निर्भीक”

                बड़ौदा – 01.06.2016 

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