मत टूटना
कभी
तुम कठिन
रास्तों पर
फिसलना
नहीं
जरा सी
भी
ऊंचाई
में तुम
चढ़ते
वक्त
याद रखना
हमेशा
किसी की
उम्मीद हो
तुम्हीं
को देखकर
जीता है
कोई जीवन
कठिन
रास्तों पर
मत समझना
अकेला
कभी सफर
में
तुम
हमसफर हो
उसी राह
में
अहसास भी
हो तुम
उसके अकेलेपन
का
तुम्हारे
बिखरने से
पहले ही
समेत लेगा
आकर वह
तुम्हें
अपने
स्नेहिल
मृदुल प्यार
में
क्योंकि
तुम –
उद्गम
बिन्दु हो
उसकी
ऊर्जा शक्ति की
जिसे
महसूस तुम भी
करते हो
अक्सर
उसी पल
से जो
इत्तेफाकन
मिला था
उसे कभी
साथ तुम्हारा
पल दो पल
के लिए
अंजान
राहों में
फिर मत
कहना
टूट और
बिखर
जाने की
बात
जीना है
तो बस
“निर्भीक”
होकर जीवन में
सफर की
डगर पर
प्रकाश यादव
“निर्भीक”
बड़ौदा –
02.04.2016
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