Saturday, June 04, 2016

-:हमसफर:-


आज सोलह
वर्ष की हो गई
प्रेम सम्बन्धों की
हमारी प्रेमलता  
जिसकी नाजुक कंचनलता 
बड़ी ही कोमलता के साथ
जीवन सफर में
आपसी तारतम्य रखा है
समय के थपेड़ो में भी
अपनी हरियाली को
कभी कम नहीं होने दिया
सुबह की शबनमी मुस्कान
दोपहर को कुम्भला जाना
और शाम को फिर
चिरपरिचित वही ताजगी
यही तो है राज
जीवन की गाड़ी को
गति प्रदान करने की
आंतरिक शक्ति
सफर अकेला सफर
कहाँ होता है
वह तो अकेलापन के साथ
नीरसता की ओर ले जाता है
हाँ सफर सरस भी अच्छी नहीं
जब तक पग में
दो चार कांटे न चुभे हो
राह चलने में मजा कहाँ
और हमसफर अगर
हमराह बनकर कभी धूप
कभी बारिस तो कभी
महकती बयार को लेकर
संग संग चले तो फिर
जिंदगी का हर लम्हा
एक खूबसूरत ख़्वाहिश की
मंजिल की ओर
अग्रसर होती चली जाती है
              प्रकाश यादव “निर्भीक”

              बड़ौदा – 23-04-2016 

No comments: