कहते है न आईना
झूठ नहीं बोलता
आज मालूम हुआ
जब तुमने पीछे से
मेरे कंधे पे अपनी
टुढ़ी रखकर
ऑफिस आते वक्त
निहार रही थी
आईना में खुद को
बड़ी इत्मीनान से
गौर से जब देखा
तुम्हारी उन आँखों को
जिनमें अथाह प्यार है
स्नेह भरी चाह है
त्याग और समर्पण की
तो क्या तुम्हारा
झुंझलाना कभी कभी
वो भी एक जरिया है
तुम्हारे अनूठे प्यार
का
कि मैं तंग आ चुकी हूँ
दुनियाँ दारी से
कमरे और रसोई में
सिमटी जिंदगी से
वंचित होकर अपने
उन्मुक्त आकाश से
सुबह से शाम तक
तुम्हारे और तुम्हारे
बच्चों के बारे में
सोचकर सोचकर ...
सच अगर तुम न होती
तो क्या होता अस्तित्व
किसी परिवार का
कैसे महसूस होती
खूशबू पुष्पगंधा की
जिसकी महक सफर को
सरल और सौम्य बनाती है
देकर मिठास जिंदगी को
जिसमें खट्टे, मीठे, चटपटे
कई मिश्रित रसपान
कराया है तुमने
बिन कहे जीवन को
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा
– 19-04-2016
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