Saturday, June 04, 2016

-:प्रेम ज्योत्स्ना:-


तुम्हारा आज बस
एक संदेश आना
फेसबूक के जरिये
मेरी एक तस्वीर पर
कि तुम अच्छे लग रहे हो
कितना रोमांचक रहा  
यह मेरे लिए पता है तुम्हें !
खुद में ही खो गया मैं
तुम्हारी यादों के
पुराने गलियारों में
आ गई याद जेहन में
तुम्हारी बरसों पुरानी
नयनों की कहानी
साथ में फिरोजी होंठो की
वो हंसी तुम्हारी  
जिससे तुमने मुझे
बांध लिया था प्रेमपाश में
एक दिन तुम्हारा मेरे साथ
बैठकर बातें करना कैंटीन में
कॉफी, ब्रैड और बटर के साथ  
और फिर ऑटो में
बैठाकर तुम्हें लौट आना मेरा
न चाहते हुए भी
हल्का सा बुखार में  
कहते कहते रुक जाना मेरा  
तुमसे वो अनकही बातें
जो आज भी कैद है
मेरी बंद जुबां में और फिर   
अनायास तुम्हारी आवाज
आज मेरे कानों में जिसे
सुनने को बेताब था दिल
न जाने कब से
मानो मेहरबान हो गई आज
मेरे ऊपर ज्योत्स्ना प्रेम की
जो दूर से भी दे रही है
अपनी प्रीति की अनुभूति
मात्र एक संदेश से कि
तुम अच्छे लग रहे हो
              प्रकाश यादव “निर्भीक”

              बड़ौदा – 11.05.2016 

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