Saturday, June 04, 2016

आँखों में रहती है माँ

तू मेरी आँखों में रहती है माँ
दूर से भी हमें देखती है माँ

हूँ बहुत दूर अपनी मिट्टी से
हर घड़ी फिक्र में रहती है माँ

मांगने को कभी नहीं आती
स्नेह आँचल भर देती है माँ

ख्याल अपनी कभी नहीं उनको   
सब पर नजर रखती है माँ

प्यार बच्चों से है उसे उम्र भर
इक दीदार को तरसती है माँ

धूप में वो छिपाती है आँचल से
नूर को महफूज रखती है माँ  

            प्रकाश यादव “निर्भीक”
            बड़ौदा – 15.04.2016


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