तू मेरी आँखों में रहती
है माँ
दूर से भी हमें देखती है
माँ
हूँ बहुत दूर अपनी
मिट्टी से
हर घड़ी फिक्र में रहती
है माँ
मांगने को कभी नहीं आती
स्नेह आँचल भर देती है
माँ
ख्याल अपनी कभी नहीं उनको
सब पर नजर रखती है माँ
प्यार बच्चों से है उसे
उम्र भर
इक दीदार को तरसती है
माँ
धूप में वो छिपाती है
आँचल से
नूर को महफूज रखती है
माँ
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 15.04.2016
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