बारिश का मौसम
तेरा मुसकुराना
ज़ुल्फों से टप टप
बूंदों का गिरना
खुला आमंत्रण
नशीली आँखों से तेरे
भींगा बदन और
फिर तेरा इतराना
कोयल की कुहु कुहु
पवन मस्ताना
खुशबू से महके
बगिया कोना कोना
चलो आज ढूँढे
फिर वही आशियाना
जहां पर दो पल का
बना था ठिकाना
बादल की गड़गड़ाहट
बिजली का चमकना
फिर बाहों में तेरा
अनायास सिमटना
स्पर्श की उष्णता में
तेरा पिघल जाना
नरम पखुड़ियों सा
टूटकर बिखर जाना
अधखुले होंठों की
माधुरी मदिरा
बरसाती घटा में
तेरा खिलखिलाना
बारिश का मौसम और
तेरा मुसकुराना ....
प्रकाश यादव “निर्भीक”
बड़ौदा – 22-06-2016
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